निष्काम कर्म ईश्वर को ऋणी बना देता है. ईश्वर उसे सूद सहित वापस करने के लिए बाध्य हो जाता है. स्वामी रामतीर्थ
vijaygoswami
बुधवार, 15 फ़रवरी 2012
say to chanky
फल मनुष्य के कर्म के अधीन है .बुद्धि कर्म के अनुसार आगे बढ़ने वाली है.फिर भी विद्वान् और महात्मा लोग अच्छी तरह से विचार ही कोई कर्म करते है .चाणक्य
Hundred years
इस धरती पर सौ साल तक जीने की इच्छा रखो क्योंकि कर्म करने वाला ही जीने का अधिकारी है.जो कर्म निष्ठां छोड़ कर भोग-वृत्ति रखता हैवह म्रत्यु का अधिकारी माना जाताहै.
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