बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

say to chanky


फल मनुष्य के कर्म के अधीन है .बुद्धि कर्म के अनुसार आगे बढ़ने वाली है.फिर भी विद्वान् और महात्मा लोग अच्छी तरह से विचार ही कोई कर्म करते है .चाणक्य 

4 टिप्‍पणियां:

  1. 1. क्रोध और जल्दबाजी से व्यक्ति का कोई काम नहीं बनता ,बल्कि और अधिक बिगड़ जाता है
    2.पवित्रता ,धैर्य तथा प्रयत्न के द्वारा सभी बाधाएँ दूर की जा सकतीं हैं, इसमें कोई संदेह नहीं की सभी महान कार्य धीरे -धीरे संपन्न होते हैं .

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  2. 3.किसी के दुर्वचन कहने पर क्रोध ना करना क्षमा कहलाता है.
    4.डरने वाला व्यक्ति खुद ही डरता रहता है .उसे कोई दूसरा व्यक्ति नहीं डरा सकता .इसलिए अच्छा होगा डरना छोड़ दो. चाणक्य
    5.मनुष्य का जीवन सीधा और स्पष्ट नहीं होता .हमें उसे खुद बनाना पड़ता है.श्रीरामशर्मा जी
    6.कभी परेशानी में हों,तो बस एक बात याद रखो -दूसरों का भला करने वाले का कभी बुरा नहीं होता

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  3. ४.स्वार्थ में अच्छा इयाँ ऐसे खो जाती हैं जेसे समुद्र में नदियाँ . ५.ईमानदारी से जमा धन हमेशा सुख देता है.छल कपट द्वारा कमाया धन हमेशा दुःख देता है. प्रतेक्य व्यक्ति में अनेंक विशेषताएं छिपी होती हैं ,जिन्हें जागृत करके ही व्यक्ति का जीवन सफल और सार्थक बन सकता है.
    १.वही इंसान खुश रहता है जो दूसरों के साथ-साथ खुद को माफ़ करना जनता है.
    2.जो व्यक्ति आपके दुःख के समय साथ नहीं देता ,उसको आपके सुख के समय में हिस्सा लेने का कोई अधिकार नहीं है.3.वुद्धिमान व्यक्ति धोका और अपमान की बात किसी अन्य पर प्रकट नहीं करता .
    जिस समाज का एकमात्र लक्ष्य न्याय होगा, वही समाज आदर्श समाज कहलाएगा - डॉ राधाकृष्णन ...

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  4. 1. क्रोध और जल्दबाजी से व्यक्ति का कोई काम नहीं बनता ,बल्कि और अधिक बिगड़ जाता है
    2.पवित्रता ,धैर्य तथा प्रयत्न के द्वारा सभी बाधाएँ दूर की जा सकतीं हैं, इसमें कोई संदेह नहीं की सभी महान कार्य धीरे -धीरे संपन्न होते हैं .

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